श्री चरण सिंह: एक महान किसान नेता और राजनीतिज्ञ(भारत के पांचवें प्रधानमंत्री)

श्री चरण सिंह: एक महान किसान नेता और राजनीतिज्ञ

चौधरी चरण सिंह भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे, जिन्होंने अपने जीवन को किसानों और गरीबों के उत्थान के लिए समर्पित किया। वे न केवल एक प्रखर वक्ता और सशक्त नेता थे, बल्कि प्रशासनिक कुशलता और नीतिगत दृढ़ता के लिए भी प्रसिद्ध थे।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

श्री चरण सिंह का जन्म 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर गाँव में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने 1923 में विज्ञान से स्नातक किया और 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने विधि (लॉ) की पढ़ाई की और गाजियाबाद में अपने कानूनी करियर की शुरुआत की।

राजनीतिक जीवन की शुरुआत

श्री चरण सिंह 1929 में मेरठ चले गए और जल्द ही राजनीति में सक्रिय हो गए। 1937 में वे पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए छपरौली से चुने गए और बाद में 1946, 1952, 1962 और 1967 में भी अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

स्वतंत्रता के बाद, 1946 में उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की कैबिनेट में संसदीय सचिव बनाया गया, जहाँ उन्होंने राजस्व, चिकित्सा, लोक स्वास्थ्य, न्याय और सूचना जैसे विभागों में कार्य किया। 1951 में वे राज्य के कैबिनेट मंत्री बने और न्याय व सूचना विभाग का प्रभार संभाला। 1954 में डॉ. सम्पूर्णानंद की सरकार में उन्हें राजस्व और कृषि मंत्री का पद दिया गया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में योगदान

चौधरी चरण सिंह फरवरी 1970 में दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उनकी प्रशासनिक नीतियाँ भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ थीं। वे किसानों के सच्चे हितैषी थे और उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार की दिशा में ऐतिहासिक कार्य किए।

उन्होंने "जोत अधिनियम, 1960" लागू किया, जिसका उद्देश्य ज़मीन रखने की अधिकतम सीमा को कम करना और भूमि वितरण को अधिक न्यायसंगत बनाना था। इसके अलावा, उन्होंने ग्रामीण देनदारों को राहत देने के लिए "विभागीय ऋणमुक्ति विधेयक, 1939" तैयार किया, जिससे किसानों को बड़ी सहायता मिली।

भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल

28 जुलाई 1979 को श्री चरण सिंह भारत के प्रधानमंत्री बने। वे जनता पार्टी सरकार का नेतृत्व कर रहे थे, लेकिन उनका कार्यकाल 14 जनवरी 1980 तक ही चला। इस दौरान उन्होंने कृषि और ग्रामीण विकास से जुड़ी कई महत्वपूर्ण योजनाएँ बनाईं।

साहित्य और लेखन कार्य

राजनीति के अलावा, श्री चरण सिंह एक विचारक और लेखक भी थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं, जिनमें शामिल हैं:

  • "ज़मींदारी उन्मूलन"
  • "भारत की गरीबी और उसका समाधान"
  • "किसानों की भूसंपत्ति या किसानों के लिए भूमि"
  • "प्रिवेंशन ऑफ डिवीजन ऑफ होल्डिंग्स बिलो ए सर्टेन मिनिमम"
  • "को-ऑपरेटिव फार्मिंग एक्स-रेड"

सरल जीवन और विरासत

चौधरी चरण सिंह का जीवन सादगी और ईमानदारी का प्रतीक था। उन्होंने कभी भी निजी लाभ को महत्व नहीं दिया और अपना पूरा जीवन किसानों और गरीबों के अधिकारों की रक्षा में समर्पित किया।

उनकी नीतियों और विचारों की वजह से वे आज भी भारत के सबसे प्रभावशाली किसान नेताओं में से एक माने जाते हैं। उनका निधन 29 मई 1987 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। भारतीय राजनीति में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

Post a Comment

0 Comments