ई. श्रीधरन (मेट्रो मैन) जन्म: 12 जून 1932

ई. श्रीधरन (मेट्रो मैन) जन्म: 12 जून 1932


परिचय

ई. श्रीधरन, जिन्हें प्रायः "मेट्रो मैन ऑफ इंडिया" कहा जाता है, भारत के एक महान सिविल इंजीनियर और प्रशासनिक अधिकारी हैं जिन्होंने देश में परिवहन ढांचे को आधुनिक बनाने में क्रांतिकारी भूमिका निभाई। वे भारतीय रेलवे और शहरी परिवहन व्यवस्था के क्षेत्र में अपनी योजनागत दक्षता, अनुशासन और दूरदृष्टि के लिए विख्यात हैं। कोलकाता मेट्रो, कोंकण रेलवे और दिल्ली मेट्रो जैसी विशाल परियोजनाओं की सफलता का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

  • पूरा नाम: एलाथुरु श्रीधरन
  • जन्म: 12 जून 1932, पत्तांबी, पालक्काड ज़िला, केरल
  • शिक्षा:
    • प्रारंभिक शिक्षा - बेसिक हायर सेकेंडरी स्कूल, पत्तांबी
    • इंटरमीडिएट - विक्टोरिया कॉलेज, पालक्काड
    • इंजीनियरिंग - गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, काकीनाडा (अब JNTU)

श्रीधरन प्रारंभ से ही एक अनुशासित, कुशाग्र और कर्तव्यनिष्ठ छात्र थे। उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।

सरकारी सेवा और करियर की शुरुआत

श्रीधरन ने 1953 में भारतीय इंजीनियरिंग सेवा (IES) परीक्षा उत्तीर्ण की और भारतीय रेलवे में भर्ती हुए। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत दक्षिण रेलवे में एक ट्रेनी के रूप में की और शीघ्र ही अपनी कार्यकुशलता से अलग पहचान बनाई।

प्रमुख परियोजनाएँ और उपलब्धियाँ

1. पम्बन ब्रिज की मरम्मत (1964)

1964 में रामेश्वरम को जोड़ने वाला पम्बन रेल पुल तूफान में क्षतिग्रस्त हो गया था। रेलवे ने इसकी मरम्मत के लिए 6 महीने का समय तय किया, लेकिन श्रीधरन की अगुवाई में यह कार्य केवल 46 दिनों में पूरा हो गया। इसके लिए उन्हें रेल मंत्री पुरस्कार मिला।

2. कोलकाता मेट्रो परियोजना (1970–1980)

भारत की पहली मेट्रो प्रणाली – कोलकाता मेट्रो की योजना और प्रारंभिक क्रियान्वयन में श्रीधरन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि यह परियोजना धीरे चली, पर श्रीधरन के तकनीकी सुझाव आज भी उपयोगी माने जाते हैं।

3. कोंकण रेलवे (1990–1997)

  • श्रीधरन को कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन का मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया गया। यह परियोजना तकनीकी दृष्टि से अत्यंत चुनौतीपूर्ण थी – 760 किमी लंबी लाइन, 93 सुरंगें और 150 पुलों के साथ।
  • इस प्रोजेक्ट को तय समय से पूर्व और तय लागत में पूरा कर दिखाया, जो भारत के इंजीनियरिंग इतिहास में एक मील का पत्थर बन गया।

4. दिल्ली मेट्रो (1995–2012)

  • दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
  • उनके नेतृत्व में दिल्ली मेट्रो की पहली लाइन समय से पूर्व और बजट से कम लागत में तैयार हुई – जो किसी भी सरकारी परियोजना में दुर्लभ उपलब्धि मानी जाती है।
  • दिल्ली मेट्रो को उन्होंने एक पारदर्शी, दक्ष और स्वायत्त संस्था के रूप में विकसित किया।

कार्यशैली और सिद्धांत

श्रीधरन की कार्यशैली का सबसे प्रमुख पहलू था –

  • अनुशासन,
  • निर्णय लेने की क्षमता,
  • राजनीतिक हस्तक्षेप से स्वतंत्र कार्य करना,
  • प्रौद्योगिकी के प्रति खुलापन,
  • और टीम वर्क को बढ़ावा देना

उनकी प्रेरणा महात्मा गांधी, विवेकानंद और अब्दुल कलाम जैसे व्यक्तित्व रहे।

सम्मान और पुरस्कार

ई. श्रीधरन को उनकी सेवाओं के लिए कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया, जिनमें प्रमुख हैं:

पुरस्कार / सम्मान वर्ष
पद्म श्री 2001
पद्म विभूषण 2008
फ्रांस का “Chevalier de la Légion d’honneur” 2005
टाइम मैगज़ीन द्वारा ‘एशिया के नायक’ 2003

राजनीति में प्रवेश

2021 में श्रीधरन ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर केरल विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया। हालांकि वे चुनाव जीत नहीं पाए, पर यह दिखाता है कि वे जीवन के हर चरण में सक्रिय योगदान देने को तत्पर रहते हैं।

वर्तमान और विरासत

हालाँकि उन्होंने 2012 में डीएमआरसी से औपचारिक रूप से सेवानिवृत्ति ले ली, पर कई राज्यों ने उन्हें मेट्रो परियोजनाओं में सलाहकार के रूप में शामिल किया। लखनऊ, कोच्चि, जयपुर, और विशाखापत्तनम जैसे शहरों की मेट्रो परियोजनाओं में उनका मार्गदर्शन लिया गया।

श्रीधरन की कार्यशैली, ईमानदारी और प्रतिबद्धता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है।

निष्कर्ष

ई. श्रीधरन केवल एक इंजीनियर नहीं, बल्कि आधुनिक भारत के पुनर्निर्माण के एक शिल्पी हैं। उन्होंने दिखाया कि यदि इच्छा शक्ति, नैतिकता और अनुशासन हो तो कोई भी सरकारी परियोजना समय और बजट में पूरी हो सकती है। वे भारत के "प्रवासी कर्मयोगी" हैं, जिन्होंने देश को गतिमान किया और सिविल सेवा में नई मिसाल कायम की।


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