महेंद्र लाल सरकार : भारतीय विज्ञान चेतना के अग्रदूत(2 नवम्बर 1833- 23 फरवरी 1904)
भूमिका :
भारत के नवजागरण काल में जब शिक्षा, चिकित्सा और विज्ञान के क्षेत्र में देश अंधविश्वास और औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त था, उस समय कुछ व्यक्तित्व ऐसे उभरे जिन्होंने भारतीय समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तर्कशीलता का संचार किया। डॉ. महेंद्र लाल सरकार (Mahendralal Sircar) उन्हीं अग्रदूतों में से एक थे। उन्होंने न केवल आधुनिक चिकित्सा को भारत में लोकप्रिय बनाने का कार्य किया, बल्कि भारतीयों के लिए एक स्वतंत्र राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान की स्थापना का स्वप्न देखा, जो आगे चलकर इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस (IACS) के रूप में साकार हुआ।
जन्म और प्रारंभिक जीवन :
महेंद्र लाल सरकार का जन्म 2 नवम्बर 1833 को खानपुर, हावड़ा (पश्चिम बंगाल) में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलोचन सरकार था। बचपन में ही उनके पिता का देहांत हो गया, जिसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी माता ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में किया। बचपन से ही वे अत्यंत मेधावी, जिज्ञासु और तर्कशील स्वभाव के थे।
शिक्षा :
उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा बंगाल के स्थानीय विद्यालयों में प्राप्त की। आगे चलकर उन्होंने हिन्दू कॉलेज (अब प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी, कोलकाता) में प्रवेश लिया। वहाँ पर उन्हें पश्चिमी विज्ञान, तर्कशास्त्र और दर्शन के अध्ययन का अवसर मिला।
सन् 1856 में उन्होंने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से एम.डी. की उपाधि प्राप्त की — और वे उस समय के भारत के दूसरे भारतीय डॉक्टर बने जिन्होंने एम.डी. की डिग्री हासिल की।
चिकित्सा क्षेत्र में योगदान :
महेंद्र लाल सरकार प्रारंभ में एलोपैथी के चिकित्सक थे और उन्होंने उसी प्रणाली के अंतर्गत अनेक रोगियों का उपचार किया। परंतु बाद में, उन्होंने होम्योपैथी प्रणाली का गहराई से अध्ययन किया और अनुभव के आधार पर माना कि यह प्रणाली भारतीय परिस्थितियों में अधिक उपयुक्त है।
उन्होंने एलोपैथिक जगत से विरोध सहते हुए भी होम्योपैथी को अपनाया और उसे वैज्ञानिक रूप से प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया। उनकी इस निष्ठा ने होम्योपैथिक चिकित्सा को भारत में नई पहचान दी।
भारतीय विज्ञान के संवाहक :
महेंद्र लाल सरकार का सबसे बड़ा योगदान चिकित्सा से भी ऊपर उठकर भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में था। उनका मानना था कि ब्रिटिश शासन के अधीन भारतीयों के पास वैज्ञानिक प्रयोग और अनुसंधान के लिए स्वतंत्र मंच नहीं है।
इस विचार से प्रेरित होकर उन्होंने 1876 में "इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस (IACS)" की स्थापना की।
इस संस्था का उद्देश्य था —
“भारतीय जनता में वैज्ञानिक चेतना का विकास करना और भारतीयों को प्रयोगशाला में प्रयोग करने का अवसर प्रदान करना।”
यही संस्था आगे चलकर भारतीय विज्ञान का एक प्रमुख केंद्र बनी, जहाँ पर बाद में नोबेल पुरस्कार विजेता सी. वी. रमन ने अपनी प्रसिद्ध “रमन इफेक्ट” की खोज की।
विचारधारा और दर्शन :
महेंद्र लाल सरकार का विश्वास था कि विज्ञान किसी जाति, धर्म या भाषा से परे मानवता का साझा ज्ञान है।
वे भारतीय समाज में फैले अंधविश्वास, रूढ़ियों और धार्मिक संकीर्णता के विरोधी थे।
उन्होंने विज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने के लिए सार्वजनिक व्याख्यानों और प्रकाशनों का सहारा लिया।
उनका कहना था –
“विज्ञान ही वह शक्ति है जो भारत को पुनः जाग्रत कर सकती है।”
सामाजिक और राष्ट्रीय दृष्टि :
उनकी दृष्टि में विज्ञान केवल ज्ञान का विषय नहीं था, बल्कि राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता का साधन था। वे चाहते थे कि भारतीय स्वयं अपनी वैज्ञानिक संस्थाएँ स्थापित करें, ताकि ब्रिटिश निर्भरता से मुक्ति मिल सके।
इस दृष्टि से उनका कार्य भारत के राष्ट्रीय आंदोलन की वैचारिक पृष्ठभूमि का भी भाग बन गया।
सम्मान और प्रतिष्ठा :
डॉ. महेंद्र लाल सरकार को उनके योगदान के लिए समाज में अत्यधिक सम्मान प्राप्त था।
उन्हें “डॉ. सरकार” के नाम से कोलकाता और बंगाल में श्रद्धापूर्वक याद किया जाता था।
उनके प्रयासों से प्रेरित होकर कई अन्य भारतीय वैज्ञानिकों ने देश में अनुसंधान कार्यों की नींव रखी।
मृत्यु :
डॉ. महेंद्र लाल सरकार का निधन 23 फरवरी 1904 को हुआ।
परंतु उनकी स्थायी विरासत — IACS — आज भी भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में उनके सपनों को साकार कर रही है।
निष्कर्ष :
डॉ. महेंद्र लाल सरकार भारतीय पुनर्जागरण के उन मनीषियों में से थे जिन्होंने विज्ञान को भारत की राष्ट्रीय चेतना से जोड़ा।
उन्होंने सिद्ध किया कि विज्ञान केवल प्रयोगशाला की वस्तु नहीं, बल्कि समाज के उत्थान का माध्यम है।
उनका जीवन भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है — कि ज्ञान, दृढ़ निश्चय और आत्मबल से किसी भी सीमित व्यवस्था में परिवर्तन लाया जा सकता है।
संक्षेप में –
“महेंद्र लाल सरकार वह दीपक थे जिन्होंने औपनिवेशिक अंधकार में भारतीय विज्ञान की लौ जलायी।”

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