श्री पी. वी. नरसिंह राव
(21 जून 1991 – 16 मई 1996 | कांग्रेस (आई))
परिचय
श्री पी. वी. नरसिंह राव का जन्म 28 जून 1921 को तेलंगाना के करीमनगर जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री पी. रंगा राव था। उन्होंने अपनी शिक्षा हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय, मुंबई विश्वविद्यालय और नागपुर विश्वविद्यालय से प्राप्त की। वे एक कृषि विशेषज्ञ और वकील थे। उनके परिवार में तीन बेटे और पांच बेटियां थीं।
राजनीतिक जीवन
श्री नरसिंह राव का राजनीतिक करियर बेहद प्रभावशाली और विविधताओं से भरा रहा। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया—
आंध्र प्रदेश सरकार में योगदान
- 1962-64: कानून एवं सूचना मंत्री
- 1964-67: कानून एवं विधि मंत्री
- 1967: स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री
- 1968-71: शिक्षा मंत्री
- 1971-73: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री
केंद्र सरकार में भूमिका
- 1975-76: अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव
- 1980-84: विदेश मंत्री
- 1984: गृह मंत्री
- 1984-85: रक्षा मंत्री
- 1984: योजना मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार
- 1985-89: मानव संसाधन विकास मंत्री
उन्होंने 1957 से 1977 तक आंध्र प्रदेश विधान सभा का प्रतिनिधित्व किया और 1977 में लोकसभा के सदस्य बने।
बौद्धिक एवं साहित्यिक योगदान
श्री राव को साहित्य, भारतीय दर्शन और भाषाओं में विशेष रुचि थी। वे हिंदी, तेलुगू, मराठी और कई अन्य भाषाओं में पारंगत थे। उन्होंने तेलुगू उपन्यास 'वेई पदागालू' का हिंदी में 'सहस्रफन' नाम से अनुवाद किया। इसके अलावा, मराठी उपन्यास 'पान लक्षत कोण घेटो' का तेलुगू अनुवाद 'अंबाला जीवितम' के नाम से किया। उन्होंने कई प्रमुख पुस्तकों का तेलुगू, हिंदी और मराठी में अनुवाद किया तथा विभिन्न पत्रिकाओं में लेख भी लिखे।
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में योगदान
श्री नरसिंह राव ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत की विदेश नीति को नई दिशा दी। वे कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व करने गए—
- 1980 में संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) सम्मेलन की अध्यक्षता
- जी-77 बैठक (1980, न्यूयॉर्क) की अध्यक्षता
- गुट निरपेक्ष देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन (1981) में प्रभावी भूमिका
- 1981 में कराकास में ईसीडीसी पर जी-77 सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व
- गुट निरपेक्ष आंदोलन (NAM) के सातवें सम्मेलन (1983) में भारत की ओर से नेतृत्व
- फिलीस्तीनी मुक्ति आंदोलन को सुलझाने के लिए विशेष गुट निरपेक्ष मिशन का नेतृत्व (1983)
उन्होंने अमेरिका, सोवियत संघ, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, वियतनाम, तंजानिया और गुयाना जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ताएं कीं और भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत किया।
निष्कर्ष
श्री पी. वी. नरसिंह राव न केवल एक कुशल प्रशासक और राजनेता थे, बल्कि एक विद्वान, भाषाविद और लेखक भी थे। उनका योगदान भारतीय राजनीति और विदेश नीति में अमूल्य है। वे भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण की दिशा में ले जाने वाले प्रथम प्रधानमंत्री थे। उनका कार्यकाल भारतीय इतिहास में आर्थिक सुधारों के लिए जाना जाता है।
उनका निधन 23 दिसंबर 2004 को हुआ, लेकिन उनका योगदान और विरासत हमेशा भारतीय राजनीति में याद रखी जाएगी।
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