तोशिको बोस: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की जापानी वीरांगना(- 4 मार्च 1925)
जब भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का उल्लेख होता है, तो वीर क्रांतिकारियों और आंदोलनकारियों की कहानियाँ सामने आती हैं। परंतु इस संघर्ष में कुछ ऐसे नाम भी हैं, जो समय के धुंधलके में कहीं खो गए। ऐसे ही एक नाम हैं तोशिको बोस, एक जापानी महिला, जिनका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान अद्वितीय और प्रेरणादायक है।
रासबिहारी बोस और भारतीय क्रांति में उनकी भूमिका
तोशिको बोस का जीवन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से सीधे जुड़ा हुआ है, और इसका केंद्र थे रासबिहारी बोस। रासबिहारी बोस भारत के महान क्रांतिकारियों में से एक थे। 23 दिसंबर 1912 को उन्होंने तत्कालीन ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड हार्डिंग पर बम हमला करने की योजना बनाई थी। हालाँकि यह योजना पूर्णतः सफल नहीं हो पाई, लेकिन इससे अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन को एक नई दिशा मिली।
इस घटना के बाद रासबिहारी बोस पर अंग्रेजी हुकूमत ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया। उन्हें पकड़ने के लिए पूरे भारत में जाल बिछा दिया गया, और उनके सिर पर एक लाख रुपये का इनाम रख दिया गया। इस परिस्थिति में उन्हें भारत में रहना असंभव हो गया था। अंततः अपने साथियों के परामर्श से उन्होंने 1915 में वेश बदलकर जापान की ओर प्रस्थान किया।
जापान में शरण और तोशिको से मुलाकात
जापान उस समय ब्रिटेन के साथ एक संधि में बंधा था, जिसके अनुसार किसी भारतीय अपराधी को यदि जापान में पकड़ा जाता, तो उसे ब्रिटेन को सौंपा जा सकता था। लेकिन यदि कोई भारतीय जापानी नागरिक बन जाता, तो उसे प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता था। इसी कारण रासबिहारी बोस के मित्रों ने उनके विवाह का सुझाव दिया ताकि वे जापानी नागरिकता प्राप्त कर सकें और सुरक्षित रह सकें।
जापान में आइजो सोमा और उनकी पत्नी कोक्को सोमा नामक दंपति ने रासबिहारी बोस को अपने होटल से लगे एक गुप्त स्थान में शरण दी। यही पर उनकी मुलाकात सोमा दंपति की 20 वर्षीय बेटी तोशिको सोमा से हुई।
तोशिको एक संवेदनशील और देशभक्त प्रवृत्ति की युवती थीं। जब उन्हें भारत में ब्रिटिश शासन द्वारा किए जा रहे अत्याचारों और भारतीय क्रांतिकारियों के संघर्ष की जानकारी मिली, तो उनका हृदय आंदोलित हो उठा। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रति गहरी सहानुभूति रखने लगीं।
रासबिहारी बोस से विवाह: एक क्रांतिकारी निर्णय
रासबिहारी बोस और तोशिको के बीच राष्ट्रप्रेम की भावना ने एक विशेष संबंध बना दिया। वे दोनों क्रांति के प्रति समान रूप से समर्पित थे। तोशिको ने अपने माता-पिता से आग्रह किया कि वह रासबिहारी बोस से विवाह करना चाहती हैं, ताकि वह न केवल उनके जीवन की रक्षा कर सके, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी योगदान दे सके।
उनके माता-पिता के लिए यह निर्णय अचंभित करने वाला था। एक जापानी युवती का एक विदेशी क्रांतिकारी से विवाह करना उस समय एक असाधारण बात थी। लेकिन उन्होंने अपनी बेटी की इच्छा का सम्मान किया। 9 जुलाई, 1918 को रासबिहारी बोस और तोशिको का विवाह संपन्न हुआ।
इस विवाह से रासबिहारी बोस को जापान की नागरिकता मिल गई, जिससे वे ब्रिटिश सरकार की पकड़ से बाहर हो गए।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
रासबिहारी बोस ने इस अवसर का लाभ उठाकर दक्षिण-पूर्व एशिया में बसे भारतीयों को संगठित करना शुरू किया। उन्होंने वहां से भारत में क्रांतिकारियों के लिए संसाधन भेजने की व्यवस्था की। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने आज़ाद हिंद फ़ौज की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस पूरे आंदोलन में तोशिको ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
तोशिको ने रासबिहारी बोस के साथ हर कदम पर उनका साथ दिया। उन्होंने क्रांतिकारियों को सहायता पहुँचाने के लिए आर्थिक और मानसिक समर्थन दिया। वे एक छाया की तरह उनके साथ रहीं और क्रांतिकारी गतिविधियों में भी सक्रिय सहयोग दिया।
तोशिको का बलिदान
रासबिहारी बोस को जापान में रहते हुए सात वर्ष पूरे हो गए और उन्हें पूर्ण रूप से नागरिकता मिल गई। लेकिन गुप्त और कष्टमय जीवन का प्रभाव तोशिको के स्वास्थ्य पर पड़ने लगा। वे गंभीर रूप से क्षय रोग (टीबी) से ग्रसित हो गईं।
उस समय टीबी एक असाध्य रोग था। इस बीमारी ने धीरे-धीरे तोशिको को कमजोर कर दिया। शादी के कुछ ही वर्षों बाद, 4 मार्च 1925 को मात्र 28 वर्ष की आयु में तोशिको का निधन हो गया।
निष्कर्ष: तोशिको बोस का अविस्मरणीय योगदान
तोशिको बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक अल्पज्ञात लेकिन महान नायिका थीं। उन्होंने एक विदेशी होते हुए भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया और अपने जीवन का बलिदान दिया। उनका जीवन त्याग, प्रेम और बलिदान की अद्वितीय मिसाल है।
आज, जब हम स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को याद करते हैं, तो हमें तोशिको बोस जैसे गुमनाम नायकों को भी नमन करना चाहिए, जिन्होंने न केवल भारतीय क्रांतिकारियों का समर्थन किया, बल्कि उनके लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया।
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