बीजू पटनायक: भारत के महान नेता, स्वतंत्रता सेनानी और ओडिशा के निर्माता
बीजू पटनायक (5 मार्च 1916 - 17 अप्रैल 1997) भारतीय) भारतीय राजनीति के एक असाधारण व्यक्तित्व थे, जिनका योगदान केवल ओडिशा तक सीमित नहीं था, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उन्होंने अपनी पहचान बनाई। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, साहसी पायलट, दूरदर्शी राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और ओडिशा के दो बार मुख्यमंत्री रहे। उनकी नेतृत्व क्षमता, राष्ट्रभक्ति और विकासपरक सोच ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक अमिट स्थान दिलाया।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
बीजू पटनायक का जन्म 5 मार्च 1916 को ओडिशा के कटक शहर में हुआ था। उनका पूरा नाम बिजयानंद पटनायक था। उनके पिता लक्ष्मीनारायण पटनायक एक प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता और राष्ट्रवादी थे, जिनका प्रभाव बीजू पटनायक पर बचपन से ही पड़ा।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कटक के रावेनशॉ कॉलेजिएट स्कूल से प्राप्त की और बाद में रावेनशॉ कॉलेज में प्रवेश लिया। यद्यपि वे उच्च शिक्षा में विशेष रुचि नहीं रखते थे, लेकिन उन्हें विज्ञान और तकनीकी विषयों में गहरी दिलचस्पी थी। इसी कारण उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में प्रशिक्षण लिया और एक प्रशिक्षित पायलट बने।
स्वतंत्रता संग्राम और योगदान
बीजू पटनायक केवल एक राजनीतिज्ञ ही नहीं, बल्कि एक सच्चे स्वतंत्रता सेनानी भी थे। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल हुए और कई महत्वपूर्ण अभियानों में भाग लिया।
1. नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आज़ाद हिंद फौज के साथ संबंध
बीजू पटनायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनकी आज़ाद हिंद फौज के प्रबल समर्थक थे। वे नेताजी की विचारधारा से प्रभावित थे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार थे।
2. द्वितीय विश्व युद्ध और गुप्त अभियानों में भूमिका
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, बीजू पटनायक एक प्रशिक्षित पायलट थे और उन्होंने मित्र राष्ट्रों की वायुसेना में सेवा की। लेकिन जैसे ही उन्होंने महसूस किया कि भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए कुछ अलग करने की जरूरत है, उन्होंने ब्रिटिश सेना से हटकर स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया।
3. इंडोनेशिया की आज़ादी में भूमिका
1947 में जब इंडोनेशिया डच उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहा था, तब बीजू पटनायक ने एक साहसिक कार्य किया। उन्होंने अपने विमान से इंडोनेशिया के नेता सुकर्णो और मोहम्मद हत्ता को डच सेना से बचाकर सुरक्षित भारत लाया। इस वीरतापूर्ण कार्य के लिए इंडोनेशियाई सरकार ने उन्हें "भूमिपुत्र" की उपाधि दी।
राजनीतिक करियर
स्वतंत्रता के बाद, बीजू पटनायक ने राजनीति में कदम रखा और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गए। वे 1946 में ओडिशा विधानसभा के सदस्य बने और 1952 में लोकसभा के लिए चुने गए।
1. ओडिशा के मुख्यमंत्री (1961-1963 और 1990-1995)
1961 में, बीजू पटनायक ओडिशा के मुख्यमंत्री बने और उन्होंने राज्य में औद्योगीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया।
उनके कार्यकाल की मुख्य उपलब्धियाँ थीं:
- पारादीप बंदरगाह की स्थापना, जो आज ओडिशा की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- औद्योगिक विकास, जिसमें खनन और इस्पात उद्योग को बढ़ावा दिया गया।
- शिक्षा सुधार, जिसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों की स्थापना की गई।
लेकिन 1963 में, राजनीतिक परिस्थितियों के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
1990 में, वे फिर से जनता दल के समर्थन से ओडिशा के मुख्यमंत्री बने। इस बार उन्होंने सामाजिक सुधारों, गरीबों के उत्थान और विकास योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया।
अन्य प्रमुख योगदान और विरासत
1. औद्योगीकरण और बुनियादी ढांचा
बीजू पटनायक का मानना था कि "अगर ओडिशा को आगे बढ़ना है, तो उसे औद्योगिक क्रांति की जरूरत है।" इसी सोच के तहत उन्होंने राउरकेला स्टील प्लांट और अन्य कई औद्योगिक परियोजनाओं की नींव रखी।
2. विज्ञान और शिक्षा का प्रचार
उन्होंने ओडिशा में विज्ञान और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई संस्थानों की स्थापना की, जिनमें प्रमुख हैं:
- राष्ट्रीय एयरोनॉटिक्स प्रयोगशाला
- बीजू पटनायक विश्वविद्यालय (BPUT)
3. हवाई सेवाओं में योगदान
वे भारतीय विमानन उद्योग को विकसित करने में भी शामिल थे। उन्होंने केरल एयरवेज की स्थापना की, जो बाद में इंडियन एयरलाइंस का हिस्सा बन गई।
4. नवीन पटनायक और उनकी विरासत
बीजू पटनायक के निधन के बाद उनके पुत्र नवीन पटनायक ने उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया। नवीन पटनायक 2000 से लगातार ओडिशा के मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने अपने पिता के विकासशील दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया है।
सम्मान और पुरस्कार
बीजू पटनायक को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें शामिल हैं:
- इंडोनेशिया सरकार द्वारा "भूमिपुत्र" का सम्मान
- नेहरू पुरस्कार
- भारतीय राजनीति में साहसी नेता के रूप में पहचान
उनके सम्मान में भुवनेश्वर हवाई अड्डे का नाम "बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा" रखा गया।
निष्कर्ष
बीजू पटनायक सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक महान स्वतंत्रता सेनानी, दूरदर्शी राजनेता, औद्योगीकरण के समर्थक और समाज सुधारक थे। उन्होंने ओडिशा और भारत के विकास में जो योगदान दिया, वह अमूल्य है। उनकी साहसिकता, राष्ट्रभक्ति और जनसेवा की भावना आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
"एक नेता वह नहीं होता जो सत्ता के पीछे भागे, बल्कि वह होता है जो अपने लोगों के लिए आगे बढ़कर रास्ता बनाए।"
- बीजू पटनायक
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