पंडित जवाहरलाल नेहरू (14 नवंबर 1889 – 27 मई 1964)(कार्यकाल: 15 अगस्त 1947 – 27 मई 1964 | दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

पंडित जवाहरलाल नेहरू (14 नवंबर 1889 – 27 मई 1964)(कार्यकाल: 15 अगस्त 1947 – 27 मई 1964 | दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)


प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा


पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में एक समृद्ध और शिक्षित परिवार में हुआ। उनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील थे। नेहरू जी की प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही निजी शिक्षकों द्वारा हुई। पंद्रह वर्ष की आयु में वे इंग्लैंड गए, जहाँ उन्होंने दो वर्ष हैरो स्कूल में अध्ययन किया। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। कानून की पढ़ाई के लिए उन्होंने इनर टेम्पल से अध्ययन किया और 1912 में भारत लौटे।


राजनीतिक जीवन की शुरुआत


1912 में पंडित नेहरू ने पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बांकीपुर अधिवेशन में प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। 1916 में उनकी पहली मुलाकात महात्मा गांधी से हुई, जिनसे वे अत्यंत प्रभावित हुए। 1919 में वे इलाहाबाद के होम रूल लीग के सचिव बने और 1920 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पहला किसान मार्च आयोजित किया। असहयोग आंदोलन (1920-22) के दौरान वे दो बार जेल गए।सितंबर 1923 में नेहरू अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने। 1926 में उन्होंने यूरोप की यात्रा की और बेल्जियम के ब्रुसेल्स में 'शासन से मुक्त देशों के सम्मेलन' में भारतीय प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। 1927 में उन्होंने मास्को की यात्रा की और अक्तूबर क्रांति की दसवीं वर्षगांठ समारोह में शामिल हुए। मद्रास अधिवेशन (1926) में उन्होंने कांग्रेस को पूर्ण स्वतंत्रता के लक्ष्य की ओर उन्मुख करने में अहम भूमिका निभाई।


स्वतंत्रता संग्राम में योगदान


1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में एक जुलूस का नेतृत्व करते हुए उन पर लाठीचार्ज हुआ। उसी वर्ष उन्होंने सर्वदलीय सम्मेलन में भाग लिया और 'नेहरू रिपोर्ट' पर हस्ताक्षर किए, जिसे उनके पिता मोतीलाल नेहरू ने तैयार किया था। इसके साथ ही उन्होंने 'भारतीय स्वतंत्रता लीग' की स्थापना की और इसके महासचिव बने।1929 में लाहौर अधिवेशन में वे कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए, जहाँ पूर्ण स्वराज (पूर्ण स्वतंत्रता) का प्रस्ताव पारित किया गया। 1930 से 1935 के बीच उन्होंने नमक सत्याग्रह सहित अनेक आंदोलनों में भाग लिया और कई बार जेल गए। अल्मोड़ा जेल में रहते हुए उन्होंने अपनी आत्मकथा 'Toward Freedom' (स्वतंत्रता की ओर) लिखी।1936 से 1938 के दौरान उन्होंने स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड, स्पेन और चीन की यात्राएँ कीं, जहाँ उन्होंने स्वतंत्रता, लोकतंत्र और मानवाधिकारों के पक्ष में आवाज़ उठाई।


भारत छोड़ो आंदोलन और अंतिम जेल यात्रा


द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब ब्रिटिश सरकार ने भारत को बिना परामर्श युद्ध में शामिल किया, तो नेहरू ने विरोध किया। इसके चलते 31 अक्टूबर 1940 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। दिसंबर 1941 में रिहा किए जाने के बाद, उन्होंने अगस्त 1942 में मुंबई में आयोजित कांग्रेस की बैठक में 'भारत छोड़ो आंदोलन' का प्रस्ताव रखा, जिसे 8 अगस्त को स्वीकार कर लिया गया। उसी रात उन्हें गिरफ्तार कर अहमदनगर किले में कैद किया गया। यह उनकी सबसे लंबी और अंतिम जेल यात्रा थी। वे अपने जीवनकाल में कुल नौ बार जेल गए।1945 में रिहा होने के बाद उन्होंने आज़ाद हिंद फौज के अधिकारियों के मुकदमे में उनका कानूनी बचाव किया। मार्च 1946 में वे दक्षिण-पूर्व एशिया की यात्रा पर गए और जुलाई में एक बार फिर कांग्रेस के अध्यक्ष बने। 1951 से 1954 तक वे तीन और बार इस पद पर निर्वाचित हुए।


स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री


15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के साथ ही पंडित नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। उनके नेतृत्व में भारत ने औद्योगिक विकास, विज्ञान और तकनीकी, शिक्षा तथा पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से प्रगति का मार्ग अपनाया। उन्होंने विदेश नीति के क्षेत्र में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की नींव रखी और विश्व मंच पर भारत को एक सम्मानजनक स्थान दिलाया।

निधन और विरासत

27 मई 1964 को पंडित नेहरू का निधन हुआ। उन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण में जो योगदान दिया, वह आज भी भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। वे केवल एक राजनेता ही नहीं, बल्कि एक विचारक, लेखक और दूरदर्शी राष्ट्रनायक भी थे।


विरासत


बालकों के प्रिय ‘चाचा नेहरू’'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' और 'Toward Freedom' जैसी कालजयी रचनाएँ भारतीय लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और विज्ञान आधारित विकास की मजबूत नींव उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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