भारत में आपातकाल (25जून 1975-21मार्च 1977) प्रस्तावना भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का कालखंड एक काली स्याही से लिखा गया पृष्ठ माना जाता है। इस अवधि को "आपातकाल" (Emergency) कहा जाता है। यह वह समय था जब भारतीय लोकतंत्र पर सेंसरशिप, गिरफ्तारी, दमन और तानाशाही जैसे आरोप लगे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा ग…
Read moreNATIONALALISM IN EUROPE NATION A large number of people of mainly common descent, language, history, inhabiting a territory bounded by defined limits and forming a society under one government is called a nation. NATIONALISM Identification with one's own nation and support for its interests especially to exclusion of the interest of the other nation. RE…
Read moreश्यामा प्रसाद मुखर्जी: राष्ट्रवाद के पुरोधा और भारतीय जनसंघ के संस्थापक(6 जुलाई, 1901- 23 जून, 1953) भूमिका भारतीय राजनीति के क्षितिज पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम एक ऐसे तेजस्वी नक्षत्र के रूप में अंकित है, जिन्होंने अपने असाधारण बौद्धिक कौशल, अकादमिक उत्कृष्टता और अटूट राष्ट्रभक्ति से देश की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका नि…
Read moreक्रांतिकारी गणेश घोष: एक अविस्मरणीय गाथा(22 जून 1900- 16 अक्टूबर 1994) भूमिका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में, जहाँ महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन ने एक विशेष स्थान बनाया, वहीं अनेक ऐसे वीर भी थे जिन्होंने सशस्त्र क्रांति के माध्यम से ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला दी। ऐसे ही निडर और समर्पित क्रांतिकारियों में से एक थे गणेश घोष। चटगांव शस्…
Read moreमहर्षि पतंजलि: भारतीय ज्ञान परंपरा के देदीप्यमान नक्षत्र भूमिका भारतीय दर्शन के क्षितिज पर महर्षि पतंजलि एक ऐसे दीप्तिमान नक्षत्र हैं जिनकी आभा आज भी विश्व को आलोकित कर रही है। वे न केवल योगदर्शन के जनक माने जाते हैं, बल्कि व्याकरण और आयुर्वेद जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी उनका योगदान अतुलनीय है। उनके द्वारा रचित "योगसूत्र" भारतीय …
Read moreराष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू: संघर्ष से सर्वोच्च शिखर तक की एक प्रेरक यात्रा(जन्म 20 जून 1958) परिचय द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं और वर्तमान राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने 25 जुलाई 2022 को इस सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ ली। वह भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होने के साथ-साथ, देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति भी हैं। उनका जीवन, संघर्ष, समर्पण और संकल्…
Read moreभील बालिका काली बाई: जलते दीप सी क्रांति की चिंगारी (बलिदान दिवस 19 जून 1947) परिचय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, एक ऐसा महायज्ञ जिसमें अनगिनत भारतीयों ने अपने प्राणों की आहुति दी, परंतु कुछ ऐसे भी नाम हैं जो इतिहास के पन्नों में उतनी प्रमुखता से दर्ज नहीं हो पाए जितनी उन्हें मिलनी चाहिए थी। इन्हीं में से एक है भील बालिका काली बाई, जिसने मात्र 13 व…
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