मल्हारराव होलकर: मराठा साम्राज्य के वीर योद्धा और इंदौर के संस्थापक(16 मार्च 1693-20 मई 1766)

मल्हारराव होलकर: मराठा साम्राज्य के वीर योद्धा और इंदौर के संस्थापक

मल्हारराव होलकर (1693-1766) मराठा साम्राज्य के एक महान सेनानायक थे, जिन्होंने मराठा सत्ता को उत्तर भारत तक विस्तार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे इंदौर रियासत के संस्थापक थे और अपने युद्ध कौशल, रणनीति तथा नेतृत्व क्षमता के लिए जाने जाते हैं।


प्रारंभिक जीवन और उत्थान

मल्हारराव होलकर का जन्म 16 मार्च 1693 को महाराष्ट्र के पुणे जिले में एक मराठा परिवार में हुआ था। उनका परिवार होलकर गोत्र का था और साधारण जीवन व्यतीत करता था। किशोरावस्था में ही उन्होंने घुड़सवारी और युद्ध कला में निपुणता हासिल कर ली थी।

उनके कौशल को देखते हुए, 1721 में छत्रपति शाहू महाराज ने उन्हें बाजीराव प्रथम की सेना में भर्ती कर लिया। जल्द ही, मल्हारराव ने अपनी युद्ध क्षमता का परिचय दिया और पेशवा बाजीराव प्रथम के विश्वासपात्र सरदारों में से एक बन गए।


मराठा साम्राज्य में योगदान

मल्हारराव होलकर ने उत्तर भारत में मराठों के प्रभुत्व को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने मालवा, बुंदेलखंड, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में अभियान चलाए।

मालवा पर अधिकार

1733 में बाजीराव प्रथम ने उन्हें मालवा क्षेत्र की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने नर्मदा नदी के उत्तर में मराठों का प्रभाव बढ़ाया और 1734 में इंदौर को अपनी राजधानी बनाया। उनके कुशल प्रशासन और युद्धनीति के कारण, मालवा मराठों का एक मजबूत केंद्र बन गया।

दिल्ली और उत्तर भारत में अभियानों में भागीदारी

  • 1737 में दिल्ली पर आक्रमण: मल्हारराव ने बाजीराव प्रथम के नेतृत्व में दिल्ली पर मराठा आक्रमण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अभियान में मुगल सम्राट को झुकने पर मजबूर कर दिया गया।
  • 1757 में अहमद शाह अब्दाली के खिलाफ युद्ध: जब नजीबुद्दौला और अब्दाली ने दिल्ली पर हमला किया, तब मल्हारराव होलकर मराठों की ओर से मुकाबला कर रहे थे। हालांकि, उन्हें इस युद्ध में कुछ असफलता मिली।

पानीपत की तीसरी लड़ाई (1761) और प्रभाव

पानीपत की तीसरी लड़ाई में मल्हारराव होलकर मराठा सेना का हिस्सा थे, लेकिन युद्ध की परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने पीछे हटने का निर्णय लिया। इस युद्ध में मराठों की करारी हार हुई और उनका उत्तर भारत पर प्रभाव कम हो गया। इस हार ने उन्हें आहत किया, और वे अपने शेष जीवन में इसे भुला नहीं सके।


शासन और प्रशासन

मल्हारराव होलकर केवल एक वीर योद्धा ही नहीं, बल्कि एक कुशल प्रशासक भी थे। उन्होंने इंदौर में सुव्यवस्थित प्रशासन स्थापित किया, किसानों की भलाई के लिए नीतियाँ बनाईं और व्यापार को बढ़ावा दिया। उनके कार्यों के कारण इंदौर एक समृद्ध नगर बना।


मृत्यु और विरासत

मल्हारराव होलकर का निधन 20 मई 1766 को हुआ। उनकी मृत्यु के बाद उनकी बहू अहिल्याबाई होलकर ने शासन संभाला और इंदौर को एक महान सांस्कृतिक और प्रशासनिक केंद्र बनाया।


निष्कर्ष

मल्हारराव होलकर मराठा साम्राज्य के सबसे प्रभावशाली और वीर योद्धाओं में से एक थे। उनकी युद्ध रणनीतियाँ, कुशल प्रशासन और दूरदर्शिता ने मराठों के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी वीरता और योगदान आज भी मराठा इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।

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