ब्रजेश मिश्र : भारत के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(29 सितंबर 1928- 28 सितंबर 2012)

 ब्रजेश मिश्र : भारत के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(29 सितंबर 1928- 28 सितंबर 2012)

भारत की सुरक्षा और विदेश नीति के इतिहास में ब्रजेश चंद्र मिश्र (Brajesh Chandra Mishra) का नाम विशेष महत्व रखता है। वे भारत के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor - NSA) थे और इस पद की नींव उन्होंने ही रखी। उनका योगदान केवल सुरक्षा ढांचे तक सीमित नहीं था, बल्कि विदेश नीति, रणनीतिक संबंधों और भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करने में भी उनका बड़ा हाथ रहा।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

ब्रजेश मिश्र का जन्म 29 सितंबर 1928 को मध्य प्रदेश के भोपाल में हुआ था। उनके पिता पंडित द्वारका प्रसाद मिश्र मध्य प्रदेश के प्रमुख कांग्रेसी नेता, स्वतंत्रता सेनानी और राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे। इस प्रकार वे प्रारंभ से ही राजनीतिक और कूटनीतिक वातावरण में पले-बढ़े।

उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की और राजनीति व अंतरराष्ट्रीय मामलों में गहरी रुचि दिखाई। इसके बाद वे भारतीय विदेश सेवा (Indian Foreign Service - IFS) में शामिल हुए।

विदेश सेवा का करियर

ब्रजेश मिश्र का करियर भारतीय विदेश सेवा में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा।

  • उन्होंने विभिन्न देशों में भारतीय दूतावासों और संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
  • 1979–1981 में वे संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि (Permanent Representative) रहे।
  • उन्होंने अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों के साथ भारत के संबंधों को नई दिशा देने में योगदान दिया।

लेकिन बाद में जब उन्हें लगा कि तत्कालीन विदेश नीति भारत के हितों को पर्याप्त मजबूती से प्रस्तुत नहीं कर पा रही है, तो उन्होंने आईएफएस से इस्तीफा दे दिया।

अटल बिहारी वाजपेयी के साथ कार्य

ब्रजेश मिश्र का नाम सबसे अधिक जुड़ा हुआ है भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से।

  • 1996 में जब अटल बिहारी वाजपेयी 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने ब्रजेश मिश्र को अपना प्रधान सचिव (Principal Secretary) नियुक्त किया।
  • 1998 में वाजपेयी के पुनः प्रधानमंत्री बनने के बाद वे फिर से इस पद पर आए।
  • वाजपेयी ने उन पर गहरा विश्वास किया और उन्हें प्रधान सचिव एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार – दोनों पदों की जिम्मेदारी सौंपी।

इस प्रकार वे एक साथ प्रधानमंत्री के प्रमुख सहयोगी और देश की सुरक्षा नीतियों के प्रमुख रणनीतिकार बन गए।

भारत के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

1998 में वाजपेयी सरकार ने जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) का पद बनाया, तो ब्रजेश मिश्र को इस पद पर नियुक्त किया गया।

  • वे इस पद पर 1998 से 2004 तक रहे।
  • उनके कार्यकाल में ही भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) की संरचना मजबूत हुई।
  • उन्होंने सुरक्षा नीति, विदेश नीति और रक्षा नीति को एक साथ जोड़कर एकीकृत ढांचा तैयार किया।

प्रमुख योगदान

1. पोखरण परमाणु परीक्षण (1998)

  • मई 1998 में भारत ने पोखरण-II परमाणु परीक्षण किया।
  • ब्रजेश मिश्र ने इस अभियान को गुप्त रखने और इसके बाद वैश्विक दबावों से भारत को बाहर निकालने में निर्णायक भूमिका निभाई।
  • उन्होंने अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ वार्ता कर भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को सुरक्षित रखा।

2. भारत-अमेरिका संबंध

  • शीत युद्ध के बाद के दौर में भारत और अमेरिका के संबंध ठंडे थे।
  • ब्रजेश मिश्र ने अमेरिका के साथ नई रणनीतिक साझेदारी की नींव रखी।
  • उन्होंने राष्ट्रपति जॉर्ज बुश प्रशासन और अमेरिकी नेतृत्व के साथ घनिष्ठ संवाद स्थापित किया।
  • यही आधार आगे चलकर 2005 के बाद भारत-अमेरिका न्यूक्लियर डील तक पहुंचा।

3. कारगिल युद्ध (1999)

  • कारगिल संघर्ष के समय वे प्रधानमंत्री के सबसे विश्वसनीय सलाहकार रहे।
  • उन्होंने रक्षा बलों, गुप्तचर एजेंसियों और विदेश मंत्रालय के बीच समन्वय स्थापित किया।
  • उनकी रणनीति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने और भारत को कूटनीतिक समर्थन दिलाने में अहम योगदान दिया।

4. चीन और पाकिस्तान नीति

  • उन्होंने पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों पर कड़ा रुख अपनाया।
  • चीन के साथ संबंधों में संतुलन बनाने और सीमा विवाद के समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण वार्ताओं का संचालन किया।

5. राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे का आधुनिकीकरण

  • उन्होंने भारत की सुरक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने पर बल दिया।
  • गुप्तचर एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल और तकनीकी उन्नयन की दिशा में काम किया।

व्यक्तित्व और कार्यशैली

ब्रजेश मिश्र को एक सख्त, अनुशासित और रणनीतिक सोच वाले अधिकारी के रूप में जाना जाता था।

  • वे कम बोलते थे, लेकिन उनकी बातें नीतिगत निर्णयों का आधार बनती थीं।
  • वाजपेयी के साथ उनकी ट्यूनिंग इतनी गहरी थी कि उन्हें अक्सर "अटल जी का दाहिना हाथ" कहा जाता था।
  • उन्होंने राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर केवल राष्ट्रहित को अपनी प्राथमिकता बनाया।

सम्मान और पहचान

  • ब्रजेश मिश्र के योगदान को मान्यता देते हुए उन्हें 2001 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
  • उन्हें भारत की सुरक्षा नीतियों का "आधुनिक शिल्पी" भी कहा जाता है।

निधन

ब्रजेश मिश्र का निधन 28 सितंबर 2012 को नई दिल्ली में हुआ। अपने निधन से एक दिन पहले ही उन्होंने अपना 84वां जन्मदिन मनाया था।

निष्कर्ष

ब्रजेश मिश्र भारतीय सुरक्षा इतिहास के एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैसे पद को केवल औपचारिकता न रहने देकर उसे अत्यंत प्रभावशाली और निर्णायक संस्था में बदल दिया। वे रणनीतिक दृष्टि, दृढ़ संकल्प और कूटनीतिक दक्षता के प्रतीक थे।

उनके नेतृत्व में भारत ने न केवल परमाणु शक्ति के रूप में अपनी पहचान बनाई, बल्कि वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास के साथ खड़ा होना भी सीखा। निस्संदेह, ब्रजेश मिश्र का नाम भारतीय सुरक्षा और विदेश नीति के इतिहास में सदैव सम्मान के साथ लिया जाएगा।


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