हास्य सम्राट महमूद : भारतीय सिनेमा का बेमिसाल कलाकार(29 सितंबर 1932- 23 जुलाई 2004)

हास्य सम्राट महमूद : भारतीय सिनेमा का बेमिसाल कलाकार(29 सितंबर 1932-  23 जुलाई 2004)


भारतीय सिनेमा में जब भी हास्य कलाकारों की चर्चा होती है, तो महमूद अली का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है। वे केवल एक कॉमेडियन ही नहीं थे, बल्कि गायक, नर्तक, निर्माता और निर्देशक के रूप में भी उन्होंने अपनी पहचान बनाई। अपनी विशिष्ट अदाओं, संवाद शैली और जीवन्त अभिनय से महमूद ने हिंदी फिल्मों में हास्य का नया अध्याय लिखा और करोड़ों दर्शकों के दिलों पर राज किया।

प्रारंभिक जीवन

महमूद अली का जन्म 29 सितंबर 1932 को बंबई (अब मुंबई) में हुआ था। उनके पिता मुमताज़ अली प्रसिद्ध डांसर और अभिनेता थे, जो बॉम्बे टॉकीज़ की फिल्मों में काम करते थे। महमूद ने बचपन में ही अभिनय और नृत्य का वातावरण देखा, लेकिन शुरुआती जीवन संघर्षपूर्ण रहा। आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने टैक्सी चालक और ड्राइवर का काम भी किया। दिलचस्प तथ्य यह है कि वे एक समय मशहूर अभिनेत्री मीना कुमारी के ड्राइवर रह चुके थे।

फिल्मी करियर की शुरुआत

महमूद ने 1950 के दशक में छोटे-छोटे रोल करने शुरू किए। उन्हें सबसे पहले सी. रामचंद्र और गुरु दत्त जैसे कलाकारों के साथ काम करने का अवसर मिला। 1954 की फिल्म CID और प्यासा में उन्हें छोटे किरदार मिले। परंतु असली पहचान 1961 में आई फिल्म छोटे नवाब से मिली, जो उनकी पहली निर्देशित और प्रमुख भूमिका वाली फिल्म थी।
हास्य कलाकार के रूप में लोकप्रियता

1960 और 1970 के दशक में महमूद ने हिंदी फिल्मों को हास्य का नया आयाम दिया। उनकी कॉमिक टाइमिंग, नकल करने की कला और अनोखे हाव-भाव ने दर्शकों को ठहाकों पर मजबूर कर दिया।

उनकी लोकप्रिय फिल्मों में शामिल हैं

पड़ोसन (1968) – इस फिल्म में महमूद ने दक्षिण भारतीय संगीतकार "मास्टर पिल्लई" की भूमिका निभाई। किशोर कुमार और सुनील दत्त के साथ उनकी अदाकारी भारतीय सिनेमा के हास्य इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है।

गुमनाम (1965) – "हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं" गाने में उनकी प्रस्तुति आज भी दर्शकों के मन में ताज़ा है।

दिल तेरा दीवाना (1962)

जिद्दी (1964)

राजा और रंक (1968)

कुंवारा बाप (1974) – इस फिल्म को उन्होंने निर्देशित किया और मुख्य भूमिका निभाई। यह सामाजिक संदेश देने वाली फिल्म थी।

बहुमुखी प्रतिभा

महमूद केवल अभिनेता ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने फिल्मों का निर्माण और निर्देशन भी किया। कुंवारा बाप जैसी फिल्म ने समाज को अनाथ बच्चों और पोलियो से पीड़ित लोगों की समस्याओं पर सोचने के लिए प्रेरित किया।
उनकी गहरी रुचि संगीत में भी थी। कई गीतों में उन्होंने अपनी आवाज़ दी और मशहूर गायक किशोर कुमार व मोहम्मद रफ़ी के साथ गाया।

व्यक्तिगत जीवन

महमूद का जीवन भी फिल्मी किस्सों से भरा हुआ था। उनके बेटे लकी अली आज एक प्रसिद्ध गायक हैं। महमूद अपने सादगीपूर्ण और मस्तमौला स्वभाव के लिए जाने जाते थे।


सम्मान और योगदान

महमूद ने अपने करियर में 300 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया।

वे 4 बार फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हुए और कई पुरस्कारों से सम्मानित हुए।

हास्य कलाकार होने के बावजूद उन्होंने दर्शकों को भावुक करने वाले सामाजिक संदेश भी दिए।

निधन

महमूद का निधन 23 जुलाई 2004 को अमेरिका में हुआ। उनके जाने से भारतीय सिनेमा ने एक ऐसे कलाकार को खो दिया, जिसने अपने हास्य से हर वर्ग को गुदगुदाया और जीवन का आनंद लेना सिखाया।

निष्कर्ष

महमूद केवल एक हास्य कलाकार नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा की धरोहर थे। उन्होंने यह साबित किया कि कॉमेडी केवल हंसी-मज़ाक नहीं होती, बल्कि समाज को संदेश देने का प्रभावी माध्यम भी बन सकती है। वे सच्चे अर्थों में "हास्य सम्राट" थे, जिनकी अदाकारी आज भी दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान ला देती है।



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