बहुआयामी व्यक्तित्व: डॉ. सी. पी. ठाकुर(जन्म 3 सितंबर, 1931)
भूमिका
डॉ. चंद्रिका प्रसाद ठाकुर, जिन्हें आमतौर पर डॉ. सी. पी. ठाकुर के नाम से जाना जाता है, भारतीय राजनीति, चिकित्सा और समाजसेवा के एक ऐसे ध्रुव तारे थे जिन्होंने अपने जीवनकाल में इन तीनों क्षेत्रों में एक अमिट छाप छोड़ी। बिहार से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता के रूप में, वे न केवल एक कुशल राजनेता, बल्कि एक प्रख्यात चिकित्सक और शिक्षाविद् भी थे। उनका जीवन सेवा, समर्पण और ईमानदारी का एक अद्भुत उदाहरण है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. सी. पी. ठाकुर का जन्म 3 सितंबर, 1931 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक सामान्य परिवार में हुआ था। अपनी प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने बिहार में ही पूरी की, जिसके बाद वे पटना मेडिकल कॉलेज में दाखिल हुए। वहाँ से उन्होंने एमबीबीएस और एमडी की डिग्रियां हासिल कीं। चिकित्सा विज्ञान में अपनी विशेषज्ञता को और बढ़ाने के लिए, उन्होंने इंग्लैंड का रुख किया, जहाँ उन्होंने ट्रॉपिकल मेडिसिन (उष्णकटिबंधीय रोग) में महारत हासिल की। यह विशेषज्ञता बाद में उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक, यानी कालाजार के खिलाफ लड़ाई में काम आई।
चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान
डॉ. ठाकुर का चिकित्सा विज्ञान में योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है:
कालाजार विशेषज्ञ: वे कालाजार (Kala-azar) रोग के उपचार और अनुसंधान में एक विश्व-प्रसिद्ध विशेषज्ञ माने जाते थे। उनके शोध और प्रयासों ने इस बीमारी से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने उस समय पूर्वी भारत में बड़े पैमाने पर लोगों को प्रभावित किया था।
चिकित्सा शिक्षक: उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर और चिकित्सक के रूप में लंबे समय तक सेवा की। अपने शिक्षण के माध्यम से उन्होंने अनगिनत छात्रों को प्रेरित किया और चिकित्सा क्षेत्र के भावी विशेषज्ञों को तैयार किया।
शोध और प्रकाशन: डॉ. ठाकुर ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई शोध पत्र प्रकाशित किए, जिनमें विशेष रूप से भारत में फैलने वाले संक्रामक रोगों पर उनका गहन अध्ययन शामिल था।
राजनीतिक और सामाजिक जीवन
चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के बाद, डॉ. ठाकुर ने राजनीति में कदम रखा और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े। उन्होंने संसद के दोनों सदनों, राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य के रूप में बिहार का प्रतिनिधित्व किया। 1999 से 2004 के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्होंने कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला, जिनमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, जल संसाधन, लघु उद्योग और उपभोक्ता मामले जैसे विभाग शामिल थे। इन पदों पर रहते हुए उन्होंने देश के विकास और जन कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए।
राजनीति के साथ-साथ, वे एक समर्पित समाजसेवक भी थे। उन्होंने गरीबों के लिए स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया और बिहार में कालाजार जैसी बीमारियों के उन्मूलन के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाए।
सम्मान और विरासत
डॉ. सी. पी. ठाकुर को चिकित्सा और सामाजिक सेवा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 1984 में भारत सरकार ने उन्हें देश के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मानों में से एक पद्म भूषण से नवाजा। उनके जीवन का आदर्श यह था कि समाज की सेवा केवल राजनीति से नहीं, बल्कि चिकित्सा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों से भी की जा सकती है।
डॉ. सी. पी. ठाकुर एक ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व थे जिन्होंने चिकित्सक के रूप में लोगों का इलाज किया, राजनेता के रूप में देश की सेवा की, और एक शिक्षक के रूप में भावी पीढ़ियों को ज्ञान दिया। उनका जीवन आज भी उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो ईमानदारी, समर्पण और जनसेवा के रास्ते पर चलना चाहते हैं।

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