डॉक्टर अमरनाथ झा: एक महान विद्वान और शिक्षा शास्त्री
परिचय:
डॉक्टर अमरनाथ झा भारत के एक प्रख्यात विद्वान, साहित्यकार और शिक्षा शास्त्री थे। उन्होंने हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसे सम्माननीय स्तर तक पहुँचाने में अपना योगदान दिया। वे एक दूरदर्शी शिक्षाविद् थे, जिन्होंने भारत की शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करने में अपनी अहम भूमिका निभाई।
जन्म एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि:
डॉक्टर अमरनाथ झा का जन्म 25 फ़रवरी 1897 को बिहार के मधुबनी जिले के एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता, महामहोपाध्याय सर गंगानाथ झा, संस्कृत और भारतीय दर्शनशास्त्र के विद्वान थे। वे अपने पिता से ही संस्कृत, हिंदी और अन्य भाषाओं का ज्ञान प्राप्त करने लगे थे, जिससे उनकी विद्वता और साहित्यिक अभिरुचि विकसित हुई।
शिक्षा एवं शैक्षिक योगदान:
डॉक्टर अमरनाथ झा की प्रारंभिक शिक्षा अत्यंत उच्च स्तर की थी। उन्होंने अपनी शिक्षा पटना विश्वविद्यालय से प्राप्त की और अपनी विलक्षण बुद्धिमत्ता के कारण विश्वविद्यालय में प्रतिष्ठा प्राप्त की। वे एमए करने से पहले ही प्रांतीय शिक्षा विभाग में अध्यापक नियुक्त हो गए थे। उनकी शैक्षिक उपलब्धियों को देखते हुए पटना विश्वविद्यालय ने उन्हें डी.लिट् की उपाधि से सम्मानित किया।
डॉ. झा इलाहाबाद विश्वविद्यालय और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे। उन्होंने विश्वविद्यालयों की शिक्षा प्रणाली में कई सुधार किए और विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ा। वे शिक्षा के क्षेत्र में न केवल एक विद्वान बल्कि एक कुशल प्रशासक भी थे।
हिंदी भाषा और साहित्य में योगदान:
डॉ. अमरनाथ झा हिंदी भाषा के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने हिंदी को एक प्रतिष्ठित भाषा बनाने के लिए अथक प्रयास किए। वे हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति भी रहे, जहां उन्होंने हिंदी भाषा और साहित्य को नई दिशा देने का कार्य किया। उनके प्रयासों से हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई।
पद्मभूषण सम्मान और अन्य उपलब्धियां:
डॉक्टर अमरनाथ झा को उनकी विद्वता और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 1954 में भारत सरकार द्वारा 'पद्मभूषण' से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में उनके अपार योगदान के लिए दिया गया था। इसके अतिरिक्त, वे उत्तर प्रदेश और बिहार के 'लोक सेवा आयोग' के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने प्रशासनिक क्षेत्र में भी अपनी दक्षता का परिचय दिया और सार्वजनिक सेवा को सुचारू बनाने में सहायता की।
मृत्यु:
डॉ. अमरनाथ झा का निधन 2 सितंबर 1955 को हो गया। उनका निधन भारतीय शिक्षा और साहित्य जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति थी। वे अपनी विद्वता और योगदान के कारण सदैव याद किए जाते रहेंगे।
निष्कर्ष:
डॉक्टर अमरनाथ झा भारतीय शिक्षा, साहित्य और प्रशासनिक सेवा के एक आदर्श पुरुष थे। उन्होंने शिक्षा और हिंदी भाषा के उत्थान के लिए जो प्रयास किए, वे सदैव स्मरणीय रहेंगे। उनका जीवन समर्पण, ज्ञान और नेतृत्व का प्रतीक था। भारतीय शिक्षा और हिंदी साहित्य में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
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