जयललिता जयराम: एक अद्वितीय नेता
जयललिता जयराम भारतीय राजनीति की एक प्रभावशाली और करिश्माई नेता थीं। उन्होंने न केवल तमिलनाडु की राजनीति में अपनी गहरी छाप छोड़ी, बल्कि अपने प्रशासनिक कौशल और जनता के प्रति संवेदनशीलता के कारण लाखों लोगों के दिलों में स्थान बनाया।
प्रारंभिक जीवन और फिल्मी करियर
जयललिता का जन्म 24 फरवरी 1948 को मैसूर (अब कर्नाटक) में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बंगलुरु और चेन्नई में प्राप्त की। कम उम्र में ही उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा और दक्षिण भारतीय सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्रियों में से एक बन गईं। उन्होंने तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों में काम किया और 140 से अधिक फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया।
राजनीति में प्रवेश
अपने फिल्मी करियर की सफलता के बाद, जयललिता ने राजनीति में प्रवेश किया। उन्हें द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के नेता एम. जी. रामचंद्रन (एमजीआर) का समर्थन मिला, जो खुद भी एक प्रसिद्ध अभिनेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे। एमजीआर के संरक्षण में, जयललिता अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) में शामिल हुईं और धीरे-धीरे पार्टी में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया।
मुख्यमंत्री के रूप में योगदान
जयललिता 1991 में पहली बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद वे 2001, 2011 और 2016 में भी मुख्यमंत्री के रूप में चुनी गईं। उनके शासनकाल में विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गईं, जिनमें ‘अम्मा कैंटीन’, ‘अम्मा पानी’ और ‘अम्मा फार्मेसी’ जैसी योजनाएं प्रमुख थीं। उन्होंने महिलाओं के उत्थान, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
विवाद और संघर्ष
जयललिता का राजनीतिक जीवन कई विवादों और संघर्षों से भी भरा रहा। भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन हर बार वे मजबूती से वापसी करने में सफल रहीं। उनके समर्थक उन्हें ‘पुरात्ची तलाईवी’ (क्रांतिकारी नेता) कहकर पुकारते थे।
निधन और विरासत
5 दिसंबर 2016 को जयललिता का निधन हो गया। उनके जाने के बाद तमिलनाडु की राजनीति में एक बड़ा शून्य उत्पन्न हुआ। आज भी उन्हें एक सशक्त महिला नेता के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने न केवल अपने अनुयायियों बल्कि अपने विरोधियों का भी सम्मान अर्जित किया।
जयललिता का जीवन संघर्ष, सफलता और सेवा का प्रतीक था। उन्होंने यह सिद्ध किया कि अगर इच्छाशक्ति और साहस हो, तो कोई भी बाधा किसी को आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती।
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