चंद्रशेखर वेंकट रमन: एक महान वैज्ञानिक(7 नवंबर 1888-21 नवंबर 1970) (राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरबरी)

चंद्रशेखर वेंकट रमन: एक महान वैज्ञानिक

चंद्रशेखर वेंकट रमन (C.V. Raman) भारतीय भौतिकविद् थे, जिन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन (Scattering) पर महत्वपूर्ण खोज की। उनकी यह खोज "रमन प्रभाव" के रूप में प्रसिद्ध है, जिसके लिए उन्हें 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। वे भारत के पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने भौतिकी में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता।


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

चंद्रशेखर वेंकट रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले में हुआ था। उनके पिता चंद्रशेखर अय्यर गणित और भौतिकी के शिक्षक थे, जिससे रमन की रुचि विज्ञान में बचपन से ही विकसित हो गई। उन्होंने 1902 में मद्रास (अब चेन्नई) के प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया और 1904 में भौतिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1907 में एम.ए. की पढ़ाई पूरी की और बाद में भारतीय वित्त सेवा (Indian Finance Service) में कार्य किया, लेकिन विज्ञान के प्रति अपने जुनून के कारण इस नौकरी को छोड़ दिया।


वैज्ञानिक योगदान

चंद्रशेखर वेंकट रमन का सबसे महत्वपूर्ण योगदान "रमन प्रभाव" की खोज थी। 28 फरवरी 1928 को उन्होंने पाया कि जब प्रकाश किसी पारदर्शी माध्यम (जैसे तरल पदार्थ) से गुजरता है, तो कुछ प्रकाश की तरंग दैर्ध्य (Wavelength) बदल जाती है। इस घटना को ही "रमन प्रभाव" कहा जाता है। इस खोज ने स्पेक्ट्रोस्कोपी (Spectroscopy) के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किया और विभिन्न पदार्थों की आणविक संरचना को समझने में मदद की।

अन्य प्रमुख योगदान:

  • ध्वनि और प्रकाश के बीच संबंधों का अध्ययन
  • क्रिस्टल की संरचना पर शोध
  • भारतीय विज्ञान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका

सम्मान और उपलब्धियां

  1. नोबेल पुरस्कार (1930) – भौतिकी में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए
  2. भारतीय विज्ञान अकादमी (1934) – इसकी स्थापना में प्रमुख भूमिका
  3. भारत रत्न (1954) – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान
  4. लेनिन शांति पुरस्कार (1957)

व्यक्तित्व और विरासत

रमन न केवल एक महान वैज्ञानिक थे, बल्कि उन्होंने भारत में विज्ञान के विकास को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु में कार्य किया और 1948 में "रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट" की स्थापना की।

भारत में हर साल 28 फरवरी को "राष्ट्रीय विज्ञान दिवस" के रूप में मनाया जाता है, ताकि रमन प्रभाव की खोज को याद किया जा सके और विज्ञान के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।

चंद्रशेखर वेंकट रमन का निधन 21 नवंबर 1970 को हुआ।



निष्कर्ष

चंद्रशेखर वेंकट रमन भारतीय विज्ञान के स्तंभों में से एक थे। उनकी खोजों ने न केवल भौतिकी में नए द्वार खोले, बल्कि भारत को विज्ञान के वैश्विक मंच पर स्थापित करने में भी मदद की। उनकी वैज्ञानिक जिज्ञासा और समर्पण आज भी नई पीढ़ी के वैज्ञानिकों को प्रेरित करता है।

"विज्ञान एक सीमा रहित महासागर है, और उसकी खोज का सफर अनंत है।" – सी.वी. रमन

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