श्री राम नाथ कोविंद भारत के 14वें राष्ट्रपति रहे हैं, जिनका जीवन साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचने की एक प्रेरणादायक यात्रा है। उनकी पहचान एक विनम्र, मृदुभाषी और शांत स्वभाव वाले राजनेता के रूप में है, जिन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में संविधान के मूल्यों और लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति अटूट आस्था बनाए रखी।
प्रारंभिक जीवन और शैक्षिक पृष्ठभूमि
राम नाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के परौंख गाँव में हुआ था। एक साधारण दलित परिवार में जन्मे कोविंद का बचपन अभावों के बीच बीता। उनके पिता एक छोटे किसान और परचून की दुकान चलाते थे।
उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से वाणिज्य (Commerce) में स्नातक (B.Com) की डिग्री हासिल की और बाद में कानून (Law) की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा भी पास की थी, लेकिन अपने कानूनी करियर को आगे बढ़ाने का फैसला किया। 1971 में, वह दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकित हुए।
कानूनी और राजनीतिक करियर
वकालत के क्षेत्र में, कोविंद ने लगभग 16 वर्षों तक दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में अभ्यास किया। उन्होंने समाज के कमज़ोर वर्गों, विशेष रूप से महिलाओं और गरीबों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने पर विशेष ध्यान दिया।
सरकारी वकील: वह 1977 से 1979 तक दिल्ली उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के वकील रहे और 1980 से 1993 तक सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता रहे। इस दौरान, उन्होंने 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव के रूप में भी कार्य किया।
राज्यसभा सदस्य: 1991 में वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुए। 1994 में वह उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए और 2006 तक लगातार दो कार्यकाल तक सांसद रहे। इस दौरान उन्होंने अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण, गृह मंत्रालय और विधि एवं न्याय सहित कई महत्वपूर्ण संसदीय समितियों में अपनी सेवाएं दीं।
बिहार के राज्यपाल: 2015 से 2017 तक, उन्होंने बिहार के राज्यपाल के रूप में कार्य किया, जहाँ उन्होंने विश्वविद्यालयों के कामकाज में पारदर्शिता लाने और सुधार करने के लिए प्रशंसा हासिल की।
भारत के 14वें राष्ट्रपति (2017-2022)
राम नाथ कोविंद 20 जुलाई 2017 को देश के 14वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए और 25 जुलाई 2017 को पद की शपथ ली। वह उत्तर प्रदेश से राष्ट्रपति बनने वाले पहले व्यक्ति थे, और के.आर. नारायणन के बाद, इस पद पर पहुंचने वाले दूसरे दलित व्यक्ति थे।
उनका राष्ट्रपति कार्यकाल विनम्रता, सादगी और संवैधानिक गरिमा के लिए जाना जाता है।
सेवा और कल्याण: उन्होंने 'प्रथम नागरिक' के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन अत्यंत दूरदर्शिता के साथ किया। उन्होंने देश के दूर-दराज के हिस्सों का दौरा किया, जिसमें विश्व के सर्वाधिक ऊँचाई वाले युद्ध क्षेत्र पर तैनात सैनिकों से मिलना भी शामिल था।
लोकतांत्रिक मूल्य: एक पढ़ने के शौकीन और मृदुभाषी व्यक्ति के रूप में, उन्होंने संविधान के संरक्षक की अपनी भूमिका को शांत और गैर-विवादास्पद तरीके से निभाया, जिसके लिए उन्हें सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से सम्मान मिला।
निष्कर्ष
राम नाथ कोविंद का जीवन इस बात का प्रमाण है कि लगन, परिश्रम और संवैधानिक मूल्यों के प्रति समर्पण किसी भी व्यक्ति को समाज के सबसे ऊँचे शिखर तक पहुंचा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के वकील से लेकर राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति भवन तक का उनका सफर करोड़ों भारतीयों के लिए एक प्रेरणास्रोत है, जो हमें भारतीय लोकतंत्र की समावेशी शक्ति का एहसास कराता है।
उनके राष्ट्रपति कार्यकाल ने सादगी, मर्यादा और संवैधानिक अनुशासन की एक अमिट छाप छोड़ी है।

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